सुदर्शन चक्र
सुदर्शन चक्रभगवान विष्णु का अमोघ चक्र है, जिसे प्रभु अपनी तर्जनी उंगली पर धारण करते है। ये अस्त्र मन की गति से चलने वाला और अपने लक्ष्य का पीछा करके, उसे समाप्त करके, वापस प्रभु के पास आ जाता है।इस चक्र मैं 108 मुड़े हुए किनारे है। इस चक्र मैं 12आरे लगे है, जो साल के 12 महीनों को प्रतिष्ठित करते है। यह आरे इसके मध्य और किनारों को जोड़ने का कार्य करते है। यह चक्र 6 नाभि वाला है, और 2 युगों से युक्त है। इस चक्र के आरो मैं इंद्र, मरूतगण, यक्ष, सभी ऋषि, राशियों और सभी देवताओं की शक्तिया प्रतिष्ठित है। यह चक्र अपने दिए हुए लक्ष्य के आकार के अनुसार छोटा या बड़ा हो सकता है। यह चक्र भयंकर अग्नि और विष उत्पन्न करके अपने लक्ष्य को ध्वस्त कर देता है।
यह मंत्र सुदर्शन चक्र के 12 आरो पर लिखा हुआ है
उत्पति
कथा है कि, एक बार देवताओं और राक्षसों मैं युद्ध हुआ और जब देवता पराजित होने लगे तो सब देवता भगवान विष्णु की शरण मैं गए । देवताओं ने भगवान विष्णु से राक्षसों का वध करने की प्राार्थना की। विष्णु जी ने कहा, कि राक्षस उनके अस्त्रों से नहीं मर सकते और उनको मारने के लिए किसी विशेष अस्त्र की आवश्यकता है। विष्णु जी इस समस्या के समाधान के लिये महादेव के पास कैलाश गए। वहा विष्णु जी ने देखा कि महादेव तपस्या मैं लीन है।
विष्णु जी ने महादेव जी की तपस्या करने का निश्चय किया। वे प्रतिदिन 1000 कमल के फूल शिवलिंग पर अर्पित करते थे। जब विष्णु जी को महादेव की पूजा करते हुए 1000 वर्ष व्यतित हो गए तो महादेव जी ने उनकी परीक्षा लेने हेतु एक कमल पुष्प गायब कर दिया। जब विष्णु जी ने 999 कमल पुष्प शिवलिंग पर अर्पित कर दिए और उनको एक कमल पुष्प नहीं मिला तो वो सोच मैं पड़ गये।
विष्णु जी ने विचार किया, कि उनको कमलनयन भी कहा जाता है यह सोच कर उन्होंने अपनी एक आंख शिवलिंग पर अर्पित कर दी। यह देख कर महादेव प्रसन्न हो गए और प्रकट हो कर विष्णु जी को वरदान मांगने को कहा। विष्णु जी ने संसार की भलाई और राक्षसों के नाश के लिए उनसे एक अमोघ अस्त्र माँगा।
महादेव ने उनको देव शिल्पी विश्वकर्मा द्वारा सूर्य के तेज से निर्मित सुदर्शन चक्र प्रदान किया। जब विश्वकर्मा जी ने सूर्य के ताप को नियंत्रित करने के उनके 12 भाग किए थे तो उनकी छीलन के बचे हुए हिस्से से उन्होंन सुदर्शन चक्र का निर्माण किया था। सुदर्शन चक्र एक अमोघ शक्ति है।
भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र की सहायता से राक्षसों का नाश किया और देवताओं का उद्धार किया। तब से यह चक्र भगवान विष्णु के पास है और उनकी आज्ञा का पालन करता है। भगवान विष्णु के अनेक अवतारों मैं से केवल श्रीं कृष्ण ने ही सुदर्शन चक्र का प्रयोग किया है क्योंकि श्रीं कृष्ण ही भगवान विष्णु के पूर्ण अवतार माने जाते है।
!! इति श्री !!
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